Nasyam Treatment Benefits नस्यम चिकित्सा लाभ आज हम जानेगे नास्यम चिकित्सा के वारे में इसमें हम समझेंगे की नस्यम चिकित्सा क्या है इस आयुर्वेदिक उपचार के फायदे, निदान संकेत, और कैसे यह साइनस, माइग्रेन और श्वास समस्याओं में अच्छा है।

What is Nasyam Treatment नस्यम चिकित्सा क्या है
नास्यम उपचार आयुर्वेद का बहुत ही महत्पूर्ण उपचार है | इस उपचार के माध्यम से नाक में तेल या ओषदियो को डाला जाता है | ये उपचार विशेषकर अनेक समस्याए जैसे सर दर्द, नींद का ना आना, गले में खरास रहना, साइनस और माइग्रेन जैसे असाधारण विकारों के उपचार में सहायक होता है। ये चिकित्सा ”पंचकर्मा” का विशेष हिस्सा मन गया है | यह शरीर के ऊपरी भागो के रोगो कपो दूर करने में सहायक होता है | Nasyam Treatment Benefits नस्यम चिकित्सा लाभ |
Benefits of Nasyam Treatment नस्यम उपचार के लाभ
नास्यम उपचार के अनेक लाभ है उसमे से मुख्यक कुछ इस प्रकार से है।
साइनस और नाक बंद में आराम:- नास्यम उपचार करने से नासिका साफ़ होती है जिससे साइनोसाइटिस और एलर्जी में राहत मिलती है।
मानसिक सुधार:- नास्यम उपचार तंत्रिका तंत्र को शांत करता है | साथ हे साथ एकाग्रता को बढ़ता है और नींद में सुधर करता है |
फायदेमंद आँख-कान के रोगों में:- नास्यम के उपचार से हमारे आँखों की रौशनी बढ़ती है और कान से सम्बंदित समस्याए जैसे संक्रमण ठीक हो जाते है |
माइग्रेन और सिरदर्द का इलाज:- नास्यम उपचार करने से माइग्रेन और सिरदर्द जैसे रोग ठीक हो जाते है ये कफ दोष के लक्षण से होता है |
डिटॉक्सिफिकेशन:- नासिका के माध्यम से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
तनाव और चिंता का कमी:- नस्यम का नियमित उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। नास्यम तनाव और चिंता को कम करता है और मानसिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
Diagnosis Indications नस्यम संकेत
आयुर्वेदिक चिकित्सक में नास्यम को कुछ लक्षणों के आधार पर दिया जाता है |
- प्राणवायु विकार:- चेहरे का सुन्न होना|
- त्वचा रोग:- एक्जिमा, मुंहासे जैसे चर्म रोग।
- कफ दोष असंतुलन:- खांसी, बार-बार जुकाम, या श्वास समस्याएं होना|
- सिर के रोग:- पुराना सिरदर्द, माइग्रेन, या चक्कर आना।
- निवारण उपचार:- मौसमी एलर्जी या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।
निदान प्रक्रिया चिकित्सक नाड़ी परीक्षण करके रोगी के लक्षण और शारीरिक संरचना (प्रकृति और विकृति) के आधार पर नस्यम की सलाह देते हैं।
Procedure of Nasyam नस्यम चिकित्सा प्रक्रिया
- प्रारंभिक तैयारी:- रोगी का पेट खली होना चाहिए| अगर रोगी में खाना खाया है तो 2 से 3 घंटे के बाद नस्यम कर सकते है|
- मसाज और भाप:- रोगो को लेटा कर उसके चेहरे, माथे, और उसकी छाती तक अच्छे से मसाज करे| मसाज करने के बाद ओषदियो भाप दे| ध्यान रहे भाप में कर्पूर और तुलसी के पत्ते जरूर हो|
- तेल/औषधि ड्राप डालना:- तेल या औषधि को थोड़ा सा गर्म करने के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गयी तेल/औषधि ड्राप डालना| उसके बाद काम से काम रोगी को 10 मिनट तक छोड़ दे और उससे कहे की जीतना भी कफ आये उसे बहार थूकना है|
- धूमपाना:- जब अच्छे से कफ निकल जाये उसके बाद रोगी कपो धूमपान देना है जिसमे रोगी से एक नाक बंद करबा कर दूसरे नाम से धुए को नाम से अंदर खींचना है और मुँह से बहार निकलना है | इस प्रक्रिया को 3 – 3 बार दोहराये |
Precautions सावधानियाँ
- नास्यम के उपचार होने के बाद रोगी को ठन्डे पानी से नहीं नहाना है काम से कम 1 दिन तक |
- रोगी को ठंडी तासीर के खाद्य पर्दाथ नहीं खाने है जैसे दूध, दही, माखन, लस्सी ,छाछ, कोल्ड ड्रिंग्स, फ्रिज का पानी, और AC से बचाब करे |
- गर्भवती महिलाएं और हाई BP के मरीज डॉक्टर की सलाह के बाद ही नस्यम कराएँ।
Nasyam Treatment Benefits नस्यम चिकित्सा लाभ यह आयुर्वेद का एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प नास्यम है, नस्यम चिकित्सा न सिर्फ रोगों को ठीक करती है, बल्कि शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करती है। जिसे प्रमाणित चिकित्सक की देखरेख में ही कराना चाहिए। नस्यम उपचार एक प्रभावी और प्राकृतिक विधि है, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने में मदद करता है। ताकि उचित निदान और उपचार मिल सके। आपका स्वास्थ्य ही आपकी संपत्ति है, और नस्यम उपचार आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक प्राचीन और प्रभावी तरीका है। यदि आप नस्य उपचार को आजमाने का विचार कर रहे हैं, तो अपने निकटवर्ती आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।